बस छोटा सा ही तो फर्क है…
- Suresh Gorana
- Sep 8, 2022
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पूजा और प्रार्थना दोनों ही इबादत है जो दैनिक और नियमित करने से सुख और शांति की खोज में भागना नहीं पड़ता।
अपने इष्ट या कुलदेव / कुलदेवी की पूजा से समस्त घर और परिवार में सकारात्मक ऊर्जा व्याप्त होने से सुख-शांति प्राप्त होती है।
प्रार्थना व्यक्ति का निजी आभूषण है जिसे वह अंतर्मन से जब चाहे तब कोई भी समय कहीं भी कर सकता है।
जो निराकार और शून्य है तथा किसी भी प्रकार के बंधनों से मुक्त है उसी की प्रार्थना करने से मन हर प्रकार के चिेताओ / दु:खो से मुक्त होते हुए सुकुन पाता है।
ॐ निराकार और शून्य है।
ॐ शांति: शांति: शांति: का सिर्फ ३ बार ही मन में उच्चारण करने से त्रिविध तापो से मन मुक्त होता है और तीनों लोक की अपार शक्ति से मन निःस्वार्थ कार्यों में लीन होकर सारे सपनों को साकार करता है।

1. There is vast difference between belief and faith.
Belief leads us to GURUs while faith leads us to supreme God directly like our KARMA and our curiosities to know like ARJUNA.
2. There is difference between necessities and importance.
Necessities make living possible for all living beings while importance as being humans is to ensure living enjoyable for all living beings.
3. Nothing is lost when everything is lost.

समस्त विश्व को जोड़ने के लिए सिर्फ़ “मॉं” मात्र पर्याप्त है।





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