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कोरोना महामारी से संघर्ष मतलब कोरोनाकाण्ड

समस्त विश्व जब कोरोना की महामारी से संघर्ष कर रहा है तब हमारे देश में एकजूटता का अभाव देखकर अधिकांश को अत्यंत दुःख होना स्वाभाविक है और ऐसे सभी निःसहाय मूक द्रष्टा बनकर अपने अपने घरों में ही रहकर जंग जीतने में सराहनीय सहयोग दे रहे हैं। जब कि कुछ को अपने भिन्न-भिन्न स्वार्थ-पुष्टी के अवसर दिखाई देते हैं।

आज विज्ञान और ढेरों सुविधाओं के होते हुए भी कोरोना की महामारी से संघर्ष करना युगों पूर्व रामायण काल में श्रीरामजी का वानरों के सहारे समुंदर पार लंका के महाप्रतापी और महाज्ञानी रावण से हुए संधर्ष से अधिक पेचीदा है।

हम कोरोनाकाण्ड में कोरोना की महामारी से जंग कैसे जीत सकते हैं वह पद्म भूषण पंडित छन्नुलाल मिश्राजी के शास्त्रीय संगीतमय गूढ़-ज्ञान से आभूषित लंकाकाण्ड को सुनने से समझ में आ जाएगा।

और,

जब देश कोरोना की महामारी से संघर्ष कर रहा है तब कुछ को हमारी कमजोरी दिखाई देती है जो स्वाभाविक और अत्यंत दुःखद है।

और,

कुछ GDP, Economy और रोजगार में जबरदस्त गंभीर गिरावट को लेकर प्रति क्षण घड़ियाली आँसू बहाते रहते है। ऐसे सभी को यह कबीर भजन जरुर सुनना चाहिए कि कैसे गरीब से गरीब आम जनता GDP, Economy और रोजगार में गिरावट से बेफ़िक्र अपने परंपरागत अंदाज में मस्त मगन होकर खुशियों से भरपूर जीना जानती है और सुकुन पाती है।


ईस मार्मिक भजन का अर्थः

जाग रे बंजारा रे!

किन की जोवे बाट रे

बाड़ी का भंवरा रे

Wake up wanderer

Who are you waiting for?

Why do you sleep so deep?

O bee of this garden!

A wake-up call from Kabir, this song of simple metaphors and direct address, reminds us of our bee-like existence - always wandering, always searching. It shakes us out of our many unconscious slumbers, and demands that we take the uphill journey towards wisdom with total awareness.

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